नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सबसे लंबे बजट भाषण में आम आदमी के लिए बचत और निवेश को लेकर किसी बड़ी योजना का ऐलान तो नहीं किया गया, लेकिन 4 प्रस्ताव आपके पैसे के लिहाज से अहम हो सकते हैं। सबसे ज्यादा राहत इनकम टैक्स के स्लैब बदलने से मिल सकती है, लेकिन इसमें भी कई शर्तें लागू कर दी गई हैं। सरकार ने बचत खाते में जमा 5 लाख रुपए तक की रकम का बीमा कराने की बात कही है। दूसरी तरफ, जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का विनिवेश करने का प्रस्ताव भी रखा। सरकार इसके लिए आईपीओ लाएगी। वहीं, शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों पर डिविडेंड डिडक्शन टैक्स में बदलाव से असर पड़ सकता है।
आपके पैसे पर बजट का कितना असर: भास्कर के सवाल और सीए कार्तिक गुप्ता के जवाब
1. बजट में निवेश और बचत में आम आदमी को क्या मिला?
बजट में आम आदमी की बचत और निवेश को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कहा गया। किसी तरह की बड़ी योजना का ऐलान नहीं किया गया। मोदी के पहले कार्यकाल में सुकन्या समृद्धि योजना के जरिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर बल दिया गया था। इस बार ऐसा कुछ नहीं है।
एक्सपर्ट ओपिनियन: आम आदमी को बहुत कुछ नहीं मिला। बैंक में रखी रकम पर 5 लाख की गारंटी मिली है, लेकिन उसमें भी कई शर्तें लगाई गई हैं।
2. एलआईसी का आईपीओ लाने का क्या मतलब है? क्या इससे पॉलिसी लेने वालों का जोखिम बढ़ेगा? इससे क्या फायदा-नुकसान होगा?
सरकारी कंपनी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। इसके लिए सीधे आईपीओ लाने की बात कही गई है। इसका मतलब है कि एलआईसी के शेयरों की बिक्री की जाएगी। ऐसे में इस सरकारी बीमा कंपनी में आम शेयरधारकों की भी हिस्सेदारी हो जाएगी। हालांकि सरकार ने खुलासा नहीं किया है कि स्वामित्व का कितना फीसदी हिस्सा बेचा जाएगा।
एक्सपर्ट ओपिनियन: पॉलिसी लेने वालों को फायदा होगा। जब आईपीओ आएगा तो जनता का पैसा उसमें लगेगा। इससे कंपनी का फंड बढ़ेगा। एलआईसी का दायरा और ग्रोथ भी बढ़ेगी। जो पहले से ली गई पॉलिसी हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं होगा। कंपनी की लिक्विडिटी बढ़ेगी। कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाएगी। मार्केट रेगुलेटर की उस पर नजर रहेगी। एलआईसी को हर 3 महीने में रिपोर्ट में अपनी स्थिति बतानी होगी। इससे कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी।
3. डिविडेंड डिडक्शन टैक्स (डीडीटी) में बदलाव का क्या मतलब है? क्या शेयरहोल्डर को मिलने वाले डिविडेंड पर 2 बार टैक्स देना पड़ सकता है?
किसी भी कंपनी के शेयर खरीदने वाले निवेशकों को कंपनी अपने फायदे का एक हिस्सा देती है। इसे लाभांश या डिविडेंड कहा जाता है। अब तक डिविडेंड जारी करने वाली कंपनी को इसे अपने मुनाफे का हिस्सा मानते हुए 15% टैक्स चुकाना पड़ता था। इस पर सरचार्ज और सेस भी लागू होता था। इससे निवेशक को मिलने वाली रकम कम हो जाती थी। अब सरकार ने टैक्स भरने की जिम्मेदारी कंपनी के बजाय शेयरधारक पर डाल दी है।
एक्सपर्ट ओपिनियन: इसे दो बातों से समझा सकता है:
1- पहले किसी कंपनी को अपनी कुल आय पर कॉर्पोरेट टैक्स देना पड़ता था। इसके बाद जब कंपनी शेयर होल्डर को डिविडेंड देती थी, तो उसे डिविडेंड डिडक्शन टैक्स भी चुकाना पड़ता था। इस तरह कंपनी को दो बार टैक्स अदा करना पड़ता था।
2- बजट में कंपनी को इस टैक्स से मुक्त कर दिया गया है। अब शेयरहोल्डर को अपनी कुल आय के स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा।
ऐसे समझें: अगर शेयरहोल्डर को मिलने वाला डिविडेंड उसकी कुल आय में जुड़ने के बाद भी 5 लाख से कम है, तो टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
4. सेविंग्स अकाउंट में जमा 5 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित होने की बात कही गई है। इसका क्या मतलब है और मल्टीपल खातों के लिए नियम में बदलाव होगा या नहीं?
वित्त मंत्री ने डिपॉजिट इन्श्योरेंस (डीआई) की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का प्रस्ताव रखा। हाल ही में पीएमसी बैंक के मामले के बाद, हजारों खाताधारकों की रकम फंस गई थी। तब मौजूदा नियमों के लिहाज से किसी भी खाताधारक की कुल 1 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित थी। अब एक खाताधारक की कुल 5 लाख रुपए की रकम (एक बैंक में खोले गए सभी खातों को मिलाकर) सुरक्षित रहेगी।